Saturday, November 27, 2010

बिहार विधानसभा चुनाव

२४ नवम्बर को जो नतीजे आये उसमे जितना बहुमत जनतादल ओर भाजपा को मिला है इतना आजाद भारत के इतहास में किसी को नहीं मिला। इससे जाहिर होता है जनता विकास चाहती है ओर इमानदार नेता उसे न तो जातचाहिए ओर न ही आरक्षण।

Friday, November 19, 2010

भारत महान

इस देश की आबोहवा को लोगों ने इतना गन्दा बना रखा है की जीवन सिर्फ जीने के लिए है चाहे कैसे भी जिया जाये। ये अवधारणा लेकर आदमी बेढंगे तरीके से जी रहा है।
पता नहीं इस देश के राजनेतावों, नौकरशाहों को क्या हो गया है। लाखो करोड़ों का घपला करने के बाद भी अपने आपको पाक साफ बताने का प्रयास करते हैं जिस देश में करोड़ों लोग भूखों मर रहे हों, जवानी अराजक बन रही हो वहां इस धन का संचय किसलिए। संचय ओर संकुचन दोनों ही प्रगति के लिए अवरोधक होते हैं। धन का संचय ओर बुद्धि का संकुंचन उस समाज,व्यक्ति, ओर देश के लिए सबसे बड़े अवरोधक होते हैं। पश्चिम ने इसको पहचाना ओर कभी इस को स्वीकार नहीं किया। यही कारन है की वहां के लोग खुशहाल हैं। अनिश्चयी , ओर असुरक्षित इन्सान ही इस बीमारी का शिकार होता है । धन का संचय ओर बुद्धि का संकुचन एक बीमारी है इससे दूर रहना चाहिए । इन दोनों का फैलाव प्रगति का ज्योतक है। ये भावना इस देश के कर्णधारों को स्वीकार करके देश में फैलाना चाहिए यही मेरा सोच है ।

Wednesday, November 17, 2010

भारत महान

ज्ञान का पिरोधा कहलाने वाला देश नए नए शब्दों का आविष्कारक इसीलिए बना क्योंकि इसने वह सब देखा ओर सहा परन्तु प्रतिकार नहीं किया। कोई क्रांति नहीं की पिछले ५००० सालों में कोई संघर्ष नहीं किया जो किसी बुराई को उखाड़ फेंके । प्रताड़ना ,निरंकुशता ,हिंसा, झूठ , फरेब, मोह, माया, क्रोध, लालच, पाखंड, जितने बुरे शब्द हैं सब यंहीं से पैदा हुए क्योंकि बहुसंख्यक लोग इन्ही गुणों के पोषक थे। तभी तो ये कहा जाता है की ये सब बुरे गुण हैं, सिर्फ कहा गया पर इसके उन्मूलन के लिए संघर्ष नहीं किया गया। भूत , भविष्य , वर्तमान, स्वर्ग , नरक, इन शब्दों की उत्पत्ति भी शायद यहीं हुई ओर सबसे बड़ा शब्द मोक्ष की उत्पत्ति भी यंहीं हुई। इसी मोक्ष शब्द ने इस देश के नागरिक की तररकी की भावना को रोक दिया। ठहरा दिया ,इसका पानी ठहर गया , उसमे काई जम गई , कीड़े पद गए। मोक्ष की कामना ने कर्महीन बना दिया । हर कदम पर इस शब्द के विश्लेषण ने उसे गति हीन बना दिया ये इस महाद्वीप का अभिशाप है। इस महाद्वीप से निकलने के बाद वही इन्सान उपरोक्त शब्दों को तिलांजलि दे देता है ओर कर्मशील बन कर दुनिया में नाम रोशन करता है।

भारत महान

भारत महान देश है। इस देश के लोग भी महान हैं। यंहां currept भी उतना ही सम्मानित व्यक्ति है जितना शिष्टाचारी। यंहां चोर भी उतना ही आदरणीय है जितना साहूकार। यंहां प्रताड़ित है तो सिर्फ गरीब चाहे वो किसी भी जाति का हो। गरीब की कोई जाति नहीं होती। परन्तु अमीर की जाति होती है उसके सम्मान की मात्रा उसकी जाति के आधार पर निर्धारित होती है, पर अपमानित नहीं होता चाहे वो किसी भी तरीके से अमीर बना हो। यंहा प्रशासन शासनाधिशों के लिए है जबकि कहलाता प्रजातंत्र है, तंत्र की सुविधा राजनेतावों नौकरशाहों के लिए है जबकि तंत्र कड़ी है प्रजातंत्र की लेकिन प्रजा के लिए तंत्र की कोई सुविधा नहीं। कितनी विडम्बना है की दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश कहलाने वाले देश में लोक के लिए तंत्र नहीं है। लोकतान्त्रिक प्रणाली को अपना कर सामंती वयवस्था से लोगों पर राज किया जा रहा है प्रणाली के bhaavaarth को को को ही बदल दिया। aor log हैं ki sah rahen हैं ।
koi awaj