tag:blogger.com,1999:blog-27577602214729608662024-02-20T09:08:18.987-08:00systemVYAVASTHA PAR MAIN KEHNA CHAHTA HOON.radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.comBlogger24125truetag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-43689418380392211152011-08-29T11:03:00.000-07:002011-08-29T11:37:43.279-07:00गरीबीगरीबी किसी भी देश के लिए अभिशाप है यह सर्वमान्य है परन्तु यह भी सत्य है की इसके उन्मूलन के लिए बहोत सी नौकरियों का सर्जनभी होता है चाहे वो सर्कार से हो या<span class=""> प्राइवेट </span>छेत्र की बड़ी- बड़ी मिशनरी या चेरिटी वाले ट्रस्ट और NGO चलाने वाले हों । यदि गरीबी हट गई तो बहुत से लोग बेरोजगार हो जायेंगे और ये तमाम ट्रस्ट ,<span class="">NGO </span>बंद हो जायेंगे अतएव कोई मिशनरी ,या संस्था ये नहीं चाहेगी की ये सब बंद हों इसीलिए ये कभी नहीं चाहेंगे कीगरीबी ख़त्म हो । भारत में गरीबी का मूल कारन है जनसँख्या की बढ़ोतरी जिसे लोग ईश्वर की देन मानते हैं। यूरोप के देश इसे शहीद महाद्वीप मानते हैं
<br />गरीबी पूंजी और श्रम से उत्पादित उत्पाद के विक्रय से हासिल मुनाफे के असामान्य वितरण से प्राप्त अतिरिक्त लाभ की पैदाइश है। जिससे ये पूंजीपति कभी समझोता नहीं करेंगे।
<br />radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-53181519620160892482011-08-07T10:43:00.000-07:002011-08-07T11:38:42.365-07:00पूंजीवाद बनाम समाजवादपूंजीवादी परवर्ती ने पूंजीवादी देस अमेरिका एवं यूरोप को आर्थिक रूप से दिवालिया बना दिया। जंहापूंजीवाद होगा वहां उत्पादन तो बढेगा परन्तु उसे खपाने के लिए बाजार नहीं होगा । क्योंकि पूँजी का निर्माण श्रमिक के श्रम औरपूँजी लगाने वाले व्यक्ति के बीच मुनाफे का असामान्य वितरण से हुवा है ।और पूंजीपति ने श्रम के अनुपात में अधिक धन इकठा करलिया। और उस धन से उसने अधिक उत्पादन कीचाह में नई मशीने खरीद कर श्रमिक को अलग कर दिया। अब मशीन के द्वारा उत्पादित उत्पाद को खरीदने वाला नहीं रहेगा तो वह उत्पाद बिकेगा कहाँ । और इसी जगह पूँजी रूपी चैन का टूटना शुरू होता है । यही कारन है की पूंजीवाद यहीं धराशाही हो गया । समाज को ध्यान में रख कर यदि पूँजीपति ओर श्रमिक के बीच उत्पादन के लाभ का बराबर वितरण होता तो न तो पूंजीपति दिवालिया होता ओर न श्रमिक बेरोजगार होता। सामाजिक उत्थान में समय जरूर लगता है परंतू तर्रकी दोनों की होती और देश का विकास भी। आज की इस्थ्ती में इस श्रमिक की मजदूरी और पूंजीपति के अतिरिक्त लाभ ने समाज में असामान्य इस्थ्ती का निर्माण कर दिया जिससे अराजकता और अंतकवाद ने जन्म ले लिया। इससे न तो पूंजीपति बच सकता है और न ही आम नागरिक। इस अतिरिक्त लाभ ने भौतिक वादी परवर्ती को जन्म दिया कुछ लोगों की हब्श बड गई जिसकी पूर्ती के लिए आचरण खोया ,विवेक खोया और अंत में सयंम भी खोया। एक तरफ उच्च कोटि के समाज का निर्माण हुवा और दूसरी तरफ दुर्भिक्ष , साधन हीन समाज का। दोनों के बीच अंतर इतना ज्यादा है की दोनों का मिलाप ही असंभव प्रतीत होता है। दुनिया दो वर्गों में बँट गई है और अंतर इतना ज्यादा है के दोनों का मिलाप असंभव प्रतीत होता है दुनिया दो वर्गों में बँट गई एक शासक वर्ग और दूसरा शोषित वर्ग। जब तक अमीर , आदमी गरीब के घर तक नहीं पहुंचेगा , समतामूलक समाज का निर्माण नहीं हो सकता।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-10498686504268904672011-07-21T19:47:00.000-07:002011-07-27T10:33:49.516-07:00भ्रस्ताचार पर अंकुशभ्रस्ताचार पर अंकुश लगाने के लिए <span class="">सरकार </span>को चाहिए जो भी व्यक्ति या महिला शासकीय कार्य में भागीदार है या जनसेवक जिनको शासन की ओर से किसी भी तरह की आर्थिक सहायता या अनुदान या मेहनताना मिलता <span class="">है, </span>उन सब की उनके <span class="">joining </span>के समय की आर्थिक स्थिति का आंकलन कर लिया <span class="">जाये, </span>तथा सेवा मुक्ति के समय की आर्थिक स्थति का आंकलन करके , उसमे से सेवा कार्य <span class="">दरमियान </span>हांसिल की गई <span class="">sallary </span><span class="">अनुदान, </span>मेहनताना या सहायता राशी को घटा कर जो भी अधिक पाया जाये उसे जप्त <span class=""></span>किया जाये तथा जिनके पास कम हो उन्हेँ जप्त<br />राशी में से सहायता दी जाये । तभी समाज में धन संचय की भावना पर अंकुश लगेगा , यही अंकुश <span class=""></span>भ्रस्ताचार को ख़त्म करेगा नहीं तो हवलदार के पास ८ करोड़ , चपरासी के पास २ <span class="">करोड़, </span><span class="">मंत्री </span>के पास १७६ करोड़ आईएस दंपत्ति के पास ३५० करोड़ जे इ के पास १०करोड़ कहाँ से आगये । समाज में धन संचय के प्रति भावना असुरक्षित जीवन को सुरक्षित धन के माध्यम से करने की परवर्ती शासन की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिंह लगाती है।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-69807941149586186082011-04-02T06:39:00.003-07:002011-04-02T06:42:57.988-07:00vyawstha<blockquote></blockquote>radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-56797655384943273722011-03-24T11:19:00.000-07:002011-03-24T11:19:12.197-07:00bhudani jhola: तीन वर्गों में जनता का बटवारा<a href="http://bhudanijhola.blogspot.com/2010/08/blog-post_12.html?spref=bl">bhudani jhola: तीन वर्गों में जनता का बटवारा</a>: "में समझता हूं क़ि देश पर राज करने वालों ने सोची समझी रणनिटीके तहत देश क़ी जनता का तीन वर्गों में विभाजन कर दिया है। पहला १०%तबका वह है जो ..."radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-5907553653368282482011-03-24T11:17:00.000-07:002011-03-24T11:17:58.660-07:00bhudani jhola:<a href="http://bhudanijhola.blogspot.com/2010/09/blog-post.html?spref=bl">bhudani jhola:</a>radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-38268507951765414222011-03-22T01:54:00.000-07:002011-03-22T02:18:23.659-07:00पानी का व्यापरहवा और पानी कुदरत की नेमत है इन्सान के लिए इसका भी अगर व्यापर होने लगे तो इससे अनेतिक कार्य क्या हो सकता है नदी पहाड़ जंगल ये प्रकृति के द्वारा दिया गया एक उपहार है पृथवीके प्राणी मात्र केलिए । मध्यप्रदेश की <span class="">सरकार </span>पानी का निजी <span class="">करण </span>करने जारही है , बिजली का पहले ही निजीकरण कर चुकी है अब पानी का क्या हवा का भी निजीकरण कर सकेगी? जनता दल <span class="">united </span>isaka विरोध करेगा<br /><span class=""></span><br />जनता को जागृत करने के लिए ब्लॉग और फसबूक के जरिये आन्दोलन छेड़ेगाradheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-32020300414548237522011-02-19T10:59:00.000-08:002011-02-19T11:42:04.316-08:00ग्लोब्ल्य्जेशन<span class=""></span><br />ग्लोब्ल्य्जेशन ने जहाँ इसदेश के पूंजीवादी व्यक्तियों और संस्थाओं को अपनी पूँजी बढ़ने में सहयोग किया वहीँ धर्म कट्टरपंथ को भी बढाया,खास कर हिन्दू कट्टरपंथ बढ़ाया। नए देवताओं ने अवतार ले लिया। इन पूंजीपतियों ने नव अवतरित देवताओं के प्रचार के लिए बढे बढे आयोजन करने शुरू कर दिए क्योंकि जरूरत से ज्यादा एकत्रित पूँजी से समुदाय या समूह में अपने आप को प्रचारित या स्थापित करने के लिए इन नव अवतरित देवताओं के नाम से विराट आयोजन की वयवस्था की जाती है।चूँकि इस प्रकार के लिए धन की आवशकता एक साधारण आदमी जो धर्मनिरपेक्ष है वह नहीं कर सकता। इसलिए इन नए धन कुबेरों ने ग्लोब्ल्य्जेशन के माधय्मसे कमाए गए अतिरिक्त धन को खपाने के लिए धर्म कट्टरपंथ का सहारा लेना शुरू कर दिया। जो किसी भी <span class="">सभ्य d</span>हर्म्निर्पक्ष समाज के लिए घातकहै। इस प्रकार के आयोजन किसी गरीब और अशिक्षित बहुसखंकवर्ग के एक दिन की भूख तो मिटा देगा लेकिन उसके दिमाग में किसी देवता के प्रति आस्था से उसके कर्त्व्यपरयानता की भावना को शिथिल कर देगा। जिससे यह वर्ग कम के प्रति उतनी रूचि नहीं दिखाता और दस्ता की ओर चला जाता है। जिसे ये पूंजीपति अपनी जरूरतों के लिए इसे भुनाते हैं। किसी व्यक्ति के स्वाभाविक कर्मशील स्वभाव को धर्म कट्टरपंथ कुंठित करता है जिससे मानव विकास कम होता है। और उससे राष्ट्र का विकास रुकता है।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-82257801535432960162011-02-15T09:22:00.000-08:002011-02-15T09:31:25.429-08:00नैतिकताढंग से जीने की वयवस्था का नाम ही है नैतिकता। <br /><span class="">बिना बुधि ki naitikta anaitik se bhi badtar hoti hai </span><br /><span class="">aur bina vayvktitv ki naitikta anaitik se bhi badtar hoti hai </span>radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-82762935086349346312011-02-13T09:54:00.000-08:002011-02-13T10:57:37.793-08:00आधुनिकशिक्षाआज उच्चस्तरीय शिक्षा ने जहाँ नव यूवकों को स्वयं को स्वाब्लाम्बित होने के योग्य बनाया तथा अंतररास्ट्रीय स्तर पर अपने आप को पहचानने लायक बनाया वहीँ इस शिक्षा ने भारतीय संगठित परिवार की अवधारणा को नकारने में सहयोग भी प्रदान किया। आज इस शिक्षा ने स्वयंवाद को स्थापित करने में सहायता की है , जिसने भारतीय पारिवारिक परंपरा छिन्न भिन्न कर दिया है। पुराणी पीढ़ी की परम्परावोंका अनुसरण करना ये बकवास मानते हैं। धीरे धीरे पश्चिम का अनुसरण करते हुए स्वयं के प्रति ही सोचते हैं न तो किसी पर आश्रित होते है और न ही किसी को आश्रित रखना चाहते हैं। ये अतीत को बेड़ियाँ समझतें हैं और परम्परावों को ढोंग। इन्हें वर्तमान अछालगता है और भविष्य के प्रति चिंतित नहीं हैं परंतु उसका मुकाबला करने के लायक समझतें हैं। ये संभव हो अच्छा लगता है। पर सच होगा इस पर शक है। क्योंकि पुराणी पीढ़ी ने अपने जीवन में बहोत उतार चढाव देखें हैं इसलिए वे इतनी मजबूती से नहीं कह सकते किभविष्य में क्या होगा। आज परिवार कि परिभाषा बदल गई है । अर्थात परिवार सीमित हो गया है। इससे समाज कि अवधारणा खत्महो रही है। जब समाज नहीं रहेगा तो जीवन जीने के जो कायदे बने थे उनमे भी परिवर्तन होगा। रिश्तों का स्थान ख़त्म होगा। और स्वार्थ नए रूप में स्थापित होगा बिना स्वार्थ के कोई किसी से परिचय नहीं बढ़ाएगा। और स्वार्थ की मात्र का निधारण उसका वयव्क्तितवकरेगा। अर्थात व्यक्ति प्रधान समाज का निर्माण होगा फिर इन नए व्यक्तियों का समूह एक नए समाज का निर्माण करेगा। जो पुराने से भिन्न होगा। उनके संस्कार आचरण पुरातन से भिन्न होगें।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-75269618655372135212011-02-05T10:34:00.000-08:002011-02-05T10:54:59.377-08:00मिश्र में जन आन्दोलनपिछले १२ दिनों से प्रेसिडेंट मुबारक को हटाने के लिए जो आन्दोलन वंहा की जनता ने छेड रखा है वो जनता का पिछले ३० सालों के कुसासन के खिलाफ दबा हुवा आक्रोश है। भारत में भी इस देश के राज्नेतावों ओर नौकरशाहों के खिलाफ आक्रोश भरा हुवा है कब चिंगारी भरक उठे कोई नहीं कह सकता परंतू ये होगा क्योंकि जनता वर्तमान वयवस्था से दुखी हो गई है महंगाई घूसखोरी देश का पैसा विदेशों में और बेरोजगारी की वजह से आम जनता के साथ होने वाले रोज मर्रा के लूट खसोट चोरी आदि की घटनावों से जनता निजात चाहती है। सरकारी महकमा कोई काम नहीं करता कोई ऑफिसर अपनी जवाबदारी नहीं समझ रहा जनता तड़प रही कोई सामने नहीं आरहा उनकी तख्लिफों को समझने वाला।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-25593726887562202962011-01-11T09:27:00.000-08:002011-01-11T09:59:53.961-08:00समाजवादसमाजवाद लोगों को वर्गों में बांटता है याने गरीब समाज और अमीर समाज न क़ि वर्णों में वर्ण से साम्पर्दायिक भावनाएं उमड़ती हैं। समाजवाद शोषक और शोषित के फांसले को कम करता है, वो न तो मुस्लिम और हिन्दू न ही गरीब और अमीर के बीच झगडा करवाता है। उसकी लड़ाई तो गरीब और पिछड़ों के लिए ही है। जो शोषित वर्ग के द्वारा निर्मित है वो इस निर्माण को तोडना चाहता है। गरीब और अमीर के बीच क़ि खाई को मिटाने का संघर्ष ही समाजवाद है। सिर्फ समाजवादी चित ही साम्प्रदायिकता से मुक्ति का मार्ग है। अगर सम्प्रदाय टूटेगा तो वर्ण टूटेगा वर्ण टूटेगा तो जाति और जातियों के टूटने से जो समाज बनेगा वो इन्सान का होगा। जिससे इंसानियत जनम लेगी और इंसानियत से हबस कम होगी तो गरीबी और अमीरी का भेद कम होगा पूर्व में व्यक्ति समाज का अंग था। आज व्यक्तियों का जोड़ समाज है।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-46938979585051795842010-11-27T09:52:00.000-08:002010-11-27T10:03:27.723-08:00बिहार विधानसभा चुनाव२४ नवम्बर को जो नतीजे आये उसमे जितना बहुमत जनतादल ओर भाजपा को मिला है इतना आजाद भारत के इतहास में किसी को नहीं मिला। इससे जाहिर होता है जनता विकास चाहती है ओर इमानदार नेता उसे न तो जातचाहिए ओर न ही आरक्षण।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-28009953926787419892010-11-19T10:25:00.000-08:002010-11-19T10:49:50.723-08:00भारत महानइस देश की आबोहवा को लोगों ने इतना गन्दा बना रखा है की जीवन सिर्फ जीने के लिए है चाहे कैसे भी जिया जाये। ये अवधारणा लेकर आदमी बेढंगे तरीके से जी रहा है। <br /> पता नहीं इस देश के राजनेतावों, नौकरशाहों को क्या हो गया है। लाखो करोड़ों का घपला करने के बाद भी अपने आपको पाक साफ बताने का प्रयास करते हैं जिस देश में करोड़ों लोग भूखों मर रहे हों, जवानी अराजक बन रही हो वहां इस धन का संचय किसलिए। संचय ओर संकुचन दोनों ही प्रगति के लिए अवरोधक होते हैं। धन का संचय ओर बुद्धि का संकुंचन उस समाज,व्यक्ति, ओर देश के लिए सबसे बड़े अवरोधक होते हैं। पश्चिम ने इसको पहचाना ओर कभी इस को स्वीकार नहीं किया। यही कारन है की वहां के लोग खुशहाल हैं। अनिश्चयी , ओर असुरक्षित इन्सान ही इस बीमारी का शिकार होता है । धन का संचय ओर बुद्धि का संकुचन एक बीमारी है इससे दूर रहना चाहिए । इन दोनों का फैलाव प्रगति का ज्योतक है। ये भावना इस देश के कर्णधारों को स्वीकार करके देश में फैलाना चाहिए यही मेरा सोच है ।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-31943087307024180052010-11-17T09:41:00.000-08:002010-11-17T10:08:33.168-08:00भारत महानज्ञान का पिरोधा कहलाने वाला देश नए नए शब्दों का आविष्कारक इसीलिए बना क्योंकि इसने वह सब देखा ओर सहा परन्तु प्रतिकार नहीं किया। कोई क्रांति नहीं की पिछले ५००० सालों में कोई संघर्ष नहीं किया जो किसी बुराई को उखाड़ फेंके । प्रताड़ना ,निरंकुशता ,हिंसा, झूठ , फरेब, मोह, माया, क्रोध, लालच, पाखंड, जितने बुरे शब्द हैं सब यंहीं से पैदा हुए क्योंकि बहुसंख्यक लोग इन्ही गुणों के पोषक थे। तभी तो ये कहा जाता है की ये सब बुरे गुण हैं, सिर्फ कहा गया पर इसके उन्मूलन के लिए संघर्ष नहीं किया गया। भूत , भविष्य , वर्तमान, स्वर्ग , नरक, इन शब्दों की उत्पत्ति भी शायद यहीं हुई ओर सबसे बड़ा शब्द मोक्ष की उत्पत्ति भी यंहीं हुई। इसी मोक्ष शब्द ने इस देश के नागरिक की तररकी की भावना को रोक दिया। ठहरा दिया ,इसका पानी ठहर गया , उसमे काई जम गई , कीड़े पद गए। मोक्ष की कामना ने कर्महीन बना दिया । हर कदम पर इस शब्द के विश्लेषण ने उसे गति हीन बना दिया ये इस महाद्वीप का अभिशाप है। इस महाद्वीप से निकलने के बाद वही इन्सान उपरोक्त शब्दों को तिलांजलि दे देता है ओर कर्मशील बन कर दुनिया में नाम रोशन करता है।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-72941716731100205402010-11-17T05:48:00.000-08:002010-11-17T09:36:44.857-08:00भारत महानभारत महान देश है। इस देश के लोग भी महान हैं। यंहां <span class="">currept </span>भी <span class="">उतना </span>ही सम्मानित व्यक्ति है जितना <span class="">शिष्टाचारी। </span>यंहां <span class="">चोर </span>भी उतना ही आदरणीय है जितना <span class="">साहूकार। </span>यंहां प्रताड़ित है तो सिर्फ गरीब चाहे वो किसी भी जाति का <span class="">हो। </span>गरीब की कोई जाति नहीं होती। <span class="">परन्तु </span>अमीर की जाति होती है उसके सम्मान की <span class="">मात्रा </span>उसकी जाति के आधार पर निर्धारित होती <span class="">है, </span>पर अपमानित नहीं होता चाहे वो किसी भी तरीके से अमीर बना <span class="">हो। </span>यंहा प्रशासन शासनाधिशों के लिए है जबकि कहलाता प्रजातंत्र है, तंत्र की सुविधा <span class="">राजनेतावों </span>नौकरशाहों के लिए है जबकि तंत्र कड़ी है प्रजातंत्र की लेकिन प्रजा के लिए <span class="">तंत्र </span>की कोई सुविधा नहीं। कितनी विडम्बना है की दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश कहलाने वाले देश में लोक के लिए तंत्र नहीं <span class="">है। </span>लोकतान्त्रिक प्रणाली को अपना कर सामंती वयवस्था से लोगों पर राज किया जा रहा है प्रणाली के bhaavaarth को को को ही बदल <span class="">दिया। </span>aor log हैं ki sah rahen हैं ।<br />koi awajradheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-41415212475494959052010-09-28T10:40:00.000-07:002010-09-28T11:00:15.696-07:00अययोध्यापिछले ३,४ दिनों से देश में बाबरी मस्जिद के फैसले के बाबत गरमा गर्म बहस छिड़ी है की कोर्ट का क्या फैसला होगा। में अगर जज होता तो इस विवादिद जगह पर एक सुन्दर सा बगीचा बनवादेता या एक हॉस्पिटल जो हिन्दू, मुस्लमान सभी के इस्तेमाल में आता । जन्हाँ तक दोनों समुदाय की आस्था का सवाल है तो दोनों समुदायों को विवादिद स्थान से कुछ दुरी पर बराबर ,साइज़ की जमीन देदेता ताकि दोनों समुदाय अपनी पसंद का मंदिर और मस्जिद बनवालें। जमीन भी दोनों के इतने नजदीक देता की दोनों समुदाय अरदास और पूजा करते समय नमाज की अजान और पूजा के घंटे की आवाज सुन सके । अय्योद्या कोई मुद्दा ही नहीं है ये सिर्फ वोट के लिए दोनों समुदायों की आस्था को भुनाया जा रहा है हम हिन्दू या मुसलमान बाद में हैं पहले हिन्दुस्तानी हैं ये <span class="">massege </span>लोगों में जाना चाहिए ।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-24053331112791667222010-09-26T11:59:00.000-07:002010-09-26T12:33:41.300-07:00system जुगाड़ और चलताहेइस देश में अवय्व्सथा के प्रति उदासीन नजरिया इसकी प्रगति में सबसे बड़ा रोड़ा है। जन सामान्य में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता का अभावऔर कस्ट झेलने की प्रवर्ती ने इस सुन्दर देश को दुनिया का सिरमौर नहीं बनने दिया। कारन हर कमी को चलता है के मुहावरे ने नजरंदाज कर दिया। हर काम को नियमानुसार करने की बजाय जुगाड़ से करवाने में ज्यादा दिलचस्पी लेना भी इसकी तर्रकीमें बाधक बनी हुई है । इस प्रवर्ती से निजात पाना होगा । जितना पैसा केंद्र सरकार पिछले पाँचसालों से infrastructure andrural devlupmentपर खर्च कर रही है यदि यह पूरा पैसा सही हाथों के द्वारा खर्च होता तो देश का नक्शाकुछ अलग ही होता पर गलत हाथों में पैसा जाता रहा लोग देखते रहे औरसब ये कह कर की सब चलता है taxpaiyer का पैसा बर्बाद होता रहा और हो रहा है । बिना काम किये जुगाड़ लगा कर बिल पास करवालेते हैं कोई पूछने वाला नहीं । किसी ने सही ही कहा है इस देश का भगवन ही मालिक है।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-21517960108163955752010-08-09T11:17:00.000-07:002010-08-09T11:37:43.430-07:00युवा पीढ़ी भारत का भविष्यजंहाँ तक में सोचता हूँ अमरीकाऔर यूरोप की तरक्की रुक गई है उन्हें जितनी तरक्की करनी थी वो हो चुकी अब तो वो इसे सम्भालकेरख लें यही काफी होगा। अब जो कुछ प्रगति होना है तो भारत ओर चाइना में होना है। तब क्यों न भारत का यूवा इस मोके का फायदा उठाये ओर नए अनुसन्धान में ध्यान लगा कर नए आविस्कर करे तथा अपने देश को यूरोप के बराबर ला कर खड़ा करे। देश की राजनीती में भाग ले कर भ्रष्ट तंत्र को तोड़ने का प्रयास करे । इस देश का ६०% पैसा राजनेतावों ओर अधिकारीयों की जेब में चला जाता है तब विकास कंहाँ दिखेगा, मुझे तो पूरा भरोसा है की इस देश का यूवा जिसने अच्छे इंस्टिट्यूट से पढाई की है वह भ्रष्ट नहीं हो सकताradheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-65566428323361011492010-07-21T10:47:00.000-07:002010-07-21T11:08:17.312-07:00बिहार विधानसभा में गुंडागर्दीआज बिहार विधानसभा के अन्दर और बाहर जो राज्नेतावोंने आचरण का प्रदर्शन किया है वह लोकतंत्र के लिए कितना खतरनाक है इसको नजरअन्दाज नहीं करना चाहिए ये देश की प्रजातान्त्रिक प्रणालीके लिए खतरा है। ऐसे <span class="">नेतावों </span>को पार्टियों से निकल बाहर करके गुंडा एक्ट में जेल में बंद करना चाहिए तब तक बाहर नहीं निकलना चाहिए जब तक ये आमसभा बुला कर माफी न मांगे। ऐसे लोगों को कभी भी टिकट न दिया जाये ओर इनका सामाजिक बहिस्कार कर देना चाहिए तभी इस देश के नेताओं को लोकतंत्र की परिभाषा का बोध होगा।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-40050474738341710242010-07-19T06:15:00.000-07:002010-07-19T06:37:41.875-07:00आचरणआज में एक लोकल समाचार पत्र पढ़ रहा था की डेनमार्क को दुनिया का सबसे खुशहाल देश घोषित किया है। कारन जान कर अचरज हुवा की इस देश के लोगों में पैसे के पीछे भागने की प्रवर्ती नहीं है। जितना मिलता है उससे संतोष है। इनका कहना है की सुख पैसे से ख़रीदा जा सकता है परन्तु खुसी नहीं खरीदी जा सकती । ५५लाख की जनसँख्या का देस ४४हजार किलोमीटर का एरिया जिसके नागरिक कमाईपर ७२% कर देते हों कारों पर १८०%कर देते हों रेजिस्त्रशन का ,ओर २५%वैट टैक्स देते हों फिर भी खुशहालजिन्दगी जीते हों हमें इनका अनुसरण करना चाहिएradheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-52177559891381494802010-07-12T12:11:00.000-07:002010-07-12T12:32:06.364-07:00वयवस्थापिछले ३,४ दिनों से न्यूज़ चेनल परजो दिखाया जा रहा है अगर वह सत्य है तो सही में वयवस्था में भारी कमी है। सब्जियों में मिलावट दूध में मिलावट घी और तेल में मिलावट आखिर लोगों को शुद्ध खाना भी नसीब नहीं। आखिर इस देश का आचरण कंहाऔर कितना गिर गया,रातों रात रहीस बननेकी ललक ने इतना क्यों गिरा दिया प्रशासन क्या कर रहा है अगर कोई मेरे इस ब्लॉग को पड रहा है तो जागेऔर आवाज उठाये और वयवस्था को बदलने में सहयोग करे। ये जवाबदारी खाली सरकार की नहीं है इसमें हम सब की जवाबदेही है आखिर यह देश हमारा है जनता हमारी है फिर ऐसा कुकृत्य क्योंदेश का बुद्धिजीवी वर्ग देख रहा और चुप आखिर क्यों?radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-84032652900942504772010-06-13T18:28:00.000-07:002010-06-13T18:38:57.846-07:00unioncarbide के मामले में अर्जुनसिंगकी सरकारकी पूरी जवाबदारी जिन्होंने andersonko भोपाल से बाहर निकालने में सहयोग किया वर्तमान सरकार को चाहिए इसकी जाँच करवा कर culprit को सजा दिलांये। तथा इनकी संपत्तीतब तक जप्त राखी जाये जब तक इसका फैंसला नहीं आजाता ।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2757760221472960866.post-36645203518943132232010-06-06T11:06:00.000-07:002010-06-08T15:27:50.177-07:00VYAVASTHAभारत के नौजवान साथियों को क्रन्तिकारी सलाम अपना परिचय देने के पहले ये बतादूँ की यह ब्लॉग मेरे जीवन का पहला और पहली विदेश यात्रा के दौरान मोंट्रेअल से लिख रहा हूँ । मोंत्रेअल में कुदरत की नेमत है मौसम सुहावना है यंहा के लोग सुसंस्कृत, अनुशासित हैं । भारत और <span style="font-size:0;"><span style="font-size:100%;">पाकिस्तान</span>,</span> चाइना के लोग भी बहुतायत में रहते हैं बहुतायत में चायनीस रहते हैं अपने देशों में ये <span style="font-size:0;"></span>क्यों नहीं रहते ,अफ़सोस हुवा इसका अर्थ मैंने ये निकला की हमारे यंहा कानून का <span style="font-size:0;"><span style="font-size:100%;">पालन</span> </span>सरकार की तरफ से कड़ाई से नहीं करवाया जाता। यंहा के लोगों में देश की भावना ज्यादा है हमारे यहाँ इसकी निहायत कमी है उसके पीछे सामाजिक संघटन का छोटे छोटे हिस्सों मैं स्थापित है ,जिसका निराकरण राजनेतावो और नौकरशाहो के हाथ मैं हैं।<br />मैंने देखा किवेस्टर्न कंट्री उन्ही लोगों को अपने देश मैं आने देती है जो उच्च शिक्षाधारीएंड विशेषकार्यकुशालता के धनी तथा संपन्न वर्ग से सम्बन्ध रखते हैं । यदि ये सब लोग भारत से निकल कर अपने धन ज्ञान एवम कार्यकुशलता का परदर्शन इन देशों में करेंगे एवम यंहा कि वयवस्था मैं अपने आपको ढल लेंगे तो भारत कि लचर वयवस्था को कौन संभालेगा । देश मैं वयवस्था परिवर्तन लाने वाले कुशल शिक्षित वर्ग विदेशी कम्पनियों मैं उनके आर्थिक ढांचे को मजबूत करेंगे तो देश तो कमजोर होगा ही साथ मैं उन्हें भी दुसरे दर्जे का नागरिक माना <span>जाएगाi</span>सलिए मैं नवजवान साथियों को इस ब्लॉग के माध्यम से आगाह करता हूँ कि भले ही हमारे यंहा संसाधन कम हों फिर भी पर्यास करो कि अपने ज्ञान का कार्यकुशलता का पर्दशन देश मैं ही करके देश को साधन संपन्न बनावो । तभी इस देश कि अधोसर्चना बदलेगी । मैंने देखा कि जो भी भारतीय विदेश में बस गया वो वापस जाने को तैयार ही नहीं है क्योंकि वंहा वह अपनेआपको सुरक्षित महसूस नहीं करता कानून वयवस्था के कमजोर होने के कारन । वह अपना जीवन असुरक्षित होने के कारन जीवन सुनिश्चित नहीं समझता । असुरक्षित अनिश्चित व्यक्ति को पैसे कि भूख बढ़ जाती है ओर जयादा धन कमाने कि जुगत में अपने आचरण को खोने लगता है । आचरण इन्सान कि सबसे बड़ी पूँजी होती है । इतिहास गवाह है भारत का इतिहास आचरण के मामले में विश्व का पथपर्दर्शक था, नहीं तो क्या कारन था कि श्रीमती ऐनी विसेंट ने सन १८९३ से १९३३ तक भारत में बिताया । इतिहास तो ये भी कहता है कि ईसामसीह ने भी भारत से धर्म का ज्ञान लिया । बौध धर्म भी भारत से गया । स्वास्तिक निसान भी भारत से ही गया । विज्ञानं ओर धरम भारत से अरब ,अरब से यूनान ओर यूनान से यूरोप गया। संस्कृत से सभी भाषाएँ निकली । फिर हम पीछे क्यों रह गए , किसी देश का भविष्य उस देश कि यूवा पीढ़ी में होता इसलिए यूवाओं को आगे आकर इस देश कि बागडोर संभालनी पढ़ेगी । वर्तमान के राजनेताओं ओंर नौकरशाहों से सत्ता छीन कर <span>अपने </span>हाथो में लेनी होगी । तभी यह बौधिक पलायन रुक सकता है ।<br />ज्यादा से ज्यादा यूवाओं को जो आईआईएम आई आई टी कि पढाई कर रहे हैं उनको देश कि राजनीती में भाग लेना होगा । जनता के बीच जाना होगा वोट ले कर लोकसभा ,विधान सभा में जाना होगा तभी इस लचर वयवस्था में सुधार आपायेगा ।radheshyamagrawalhttp://www.blogger.com/profile/00831176199698324483noreply@blogger.com0