Wednesday, November 17, 2010

भारत महान

ज्ञान का पिरोधा कहलाने वाला देश नए नए शब्दों का आविष्कारक इसीलिए बना क्योंकि इसने वह सब देखा ओर सहा परन्तु प्रतिकार नहीं किया। कोई क्रांति नहीं की पिछले ५००० सालों में कोई संघर्ष नहीं किया जो किसी बुराई को उखाड़ फेंके । प्रताड़ना ,निरंकुशता ,हिंसा, झूठ , फरेब, मोह, माया, क्रोध, लालच, पाखंड, जितने बुरे शब्द हैं सब यंहीं से पैदा हुए क्योंकि बहुसंख्यक लोग इन्ही गुणों के पोषक थे। तभी तो ये कहा जाता है की ये सब बुरे गुण हैं, सिर्फ कहा गया पर इसके उन्मूलन के लिए संघर्ष नहीं किया गया। भूत , भविष्य , वर्तमान, स्वर्ग , नरक, इन शब्दों की उत्पत्ति भी शायद यहीं हुई ओर सबसे बड़ा शब्द मोक्ष की उत्पत्ति भी यंहीं हुई। इसी मोक्ष शब्द ने इस देश के नागरिक की तररकी की भावना को रोक दिया। ठहरा दिया ,इसका पानी ठहर गया , उसमे काई जम गई , कीड़े पद गए। मोक्ष की कामना ने कर्महीन बना दिया । हर कदम पर इस शब्द के विश्लेषण ने उसे गति हीन बना दिया ये इस महाद्वीप का अभिशाप है। इस महाद्वीप से निकलने के बाद वही इन्सान उपरोक्त शब्दों को तिलांजलि दे देता है ओर कर्मशील बन कर दुनिया में नाम रोशन करता है।

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