Tuesday, January 11, 2011

समाजवाद

समाजवाद लोगों को वर्गों में बांटता है याने गरीब समाज और अमीर समाज न क़ि वर्णों में वर्ण से साम्पर्दायिक भावनाएं उमड़ती हैं। समाजवाद शोषक और शोषित के फांसले को कम करता है, वो न तो मुस्लिम और हिन्दू न ही गरीब और अमीर के बीच झगडा करवाता है। उसकी लड़ाई तो गरीब और पिछड़ों के लिए ही है। जो शोषित वर्ग के द्वारा निर्मित है वो इस निर्माण को तोडना चाहता है। गरीब और अमीर के बीच क़ि खाई को मिटाने का संघर्ष ही समाजवाद है। सिर्फ समाजवादी चित ही साम्प्रदायिकता से मुक्ति का मार्ग है। अगर सम्प्रदाय टूटेगा तो वर्ण टूटेगा वर्ण टूटेगा तो जाति और जातियों के टूटने से जो समाज बनेगा वो इन्सान का होगा। जिससे इंसानियत जनम लेगी और इंसानियत से हबस कम होगी तो गरीबी और अमीरी का भेद कम होगा पूर्व में व्यक्ति समाज का अंग था। आज व्यक्तियों का जोड़ समाज है।

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