भारत महान देश है। इस देश के लोग भी महान हैं। यंहां currept भी उतना ही सम्मानित व्यक्ति है जितना शिष्टाचारी। यंहां चोर भी उतना ही आदरणीय है जितना साहूकार। यंहां प्रताड़ित है तो सिर्फ गरीब चाहे वो किसी भी जाति का हो। गरीब की कोई जाति नहीं होती। परन्तु अमीर की जाति होती है उसके सम्मान की मात्रा उसकी जाति के आधार पर निर्धारित होती है, पर अपमानित नहीं होता चाहे वो किसी भी तरीके से अमीर बना हो। यंहा प्रशासन शासनाधिशों के लिए है जबकि कहलाता प्रजातंत्र है, तंत्र की सुविधा राजनेतावों नौकरशाहों के लिए है जबकि तंत्र कड़ी है प्रजातंत्र की लेकिन प्रजा के लिए तंत्र की कोई सुविधा नहीं। कितनी विडम्बना है की दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश कहलाने वाले देश में लोक के लिए तंत्र नहीं है। लोकतान्त्रिक प्रणाली को अपना कर सामंती वयवस्था से लोगों पर राज किया जा रहा है प्रणाली के bhaavaarth को को को ही बदल दिया। aor log हैं ki sah rahen हैं ।
koi awaj
Wednesday, November 17, 2010
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