भ्रस्ताचार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को चाहिए जो भी व्यक्ति या महिला शासकीय कार्य में भागीदार है या जनसेवक जिनको शासन की ओर से किसी भी तरह की आर्थिक सहायता या अनुदान या मेहनताना मिलता है, उन सब की उनके joining के समय की आर्थिक स्थिति का आंकलन कर लिया जाये, तथा सेवा मुक्ति के समय की आर्थिक स्थति का आंकलन करके , उसमे से सेवा कार्य दरमियान हांसिल की गई sallary अनुदान, मेहनताना या सहायता राशी को घटा कर जो भी अधिक पाया जाये उसे जप्त किया जाये तथा जिनके पास कम हो उन्हेँ जप्त
राशी में से सहायता दी जाये । तभी समाज में धन संचय की भावना पर अंकुश लगेगा , यही अंकुश भ्रस्ताचार को ख़त्म करेगा नहीं तो हवलदार के पास ८ करोड़ , चपरासी के पास २ करोड़, मंत्री के पास १७६ करोड़ आईएस दंपत्ति के पास ३५० करोड़ जे इ के पास १०करोड़ कहाँ से आगये । समाज में धन संचय के प्रति भावना असुरक्षित जीवन को सुरक्षित धन के माध्यम से करने की परवर्ती शासन की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिंह लगाती है।
Thursday, July 21, 2011
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